On
20-21 Aug 2014, a ‘Child Violence’ counselling workshop was organised in
Kilkari, Patna campus for 140 children from 9 sdistricts (Patna, Saharsa,
Darbhanga, Gaya, Kaymur, Jamui, Siwan and Muzaffarpur). Chief of this workshop
and member of NACG (National Coordination Group of Violence) Mr. Augustine J.
Veliath communicated with these children of Bihar (India).
United
Nations has studied on ‘Child Violence’ in Global level. Ten points related to
this study were discussed with the children in this workshop. These ten points
were: Physical harassment, mental harassment, murder, illiteracy, child labour,
child marriage, purdah system, discrimination, disdain, insensitivity, and
sexual abuse.
Children
openly had given their suggestions. Some of the suggestions are given below.
*
Children do not know Govt. provisions.
*
They do now know to which dept. or institutions to contact to resolve their
problems.
*
However, children do not agree that children are violated and harassed in large
scale in Bihar. But, they agree that Child Labour and Child Marriage both are
violence against children.
Children
said that,
*
They should be called by their name only.
*
should not discriminate between girls and boys.
*
Girls should also be allowed to go out for study.
*
No discrimination must be in society by caste.
*
No belief must be in caste for marriage.
*
Reach of media should be everywhere so that no wrong to be anywhere.
Some
blind children expressed their problems and said that “blind children are not
liked by parents too, some persons hit them and abuse.” They demanded that
“Special sticks must be provided to the blind children so that they do not
depend on others. People must know the special schools for them. This type of
school must be in each town.”
Important
point in this workshop is that Bihar has taken the first step regarding this
problem of the children and also taken the suggestions from the children. Ideas
and suggestions given by the children will be provided to NACG.
दिनांक 20-21 अगस्त, 2014 को किलकारी, पटना परिसर में 9 जिलों (पटना, सहरसा,
दरभंगा, भागलपुर, गया, कैमूर, जमुई एवं मुजफ्फरपुर) से आए 140 बच्चों के साथ बाल
हिंसा पर आधारित परामर्शी कार्यशाला आयोजित की गई | कार्यशाला के सूत्रधार एवं NACG (National Coordination Group of
Violence) के सदस्य श्री ऑगस्टिन वेलियथ, NACG के लिए बिहार के इन
बच्चों के साथ बातचीत की |
यूनाईटेड नेशन द्वारा बाल हिंसा पर विश्व स्तरीय
अध्ययन किया गया | इस अध्ययन से जुड़े दस चिन्हित बिन्दुओं पर बच्चों से बातचीत हुई
| ये दस बिन्दु थे – शारिरिक प्रताड़णा, मानसिक उत्पीड़न, हत्या, अशिक्षा, बाल
मजदुरी, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, भेदभाव, तिरस्कार, संवेदन्हीनता एवं यौन शोषण|
बच्चों ने इन बिन्दुओं पर खुलकर अपने विचार रखें |
बच्चों से आये कुछ विचार इस प्रकार है:
* बच्चों को सरकार के प्रावधान की जान्कारी नहीं है |
* उन्हें नहीं पता कि अपनी समस्याओं को सुलझाने के
लिए किस विभाग या संस्था से बात करनी चाहिए|
* हालांकि बच्चें यह मानने को तैयार नहीं है कि बिहार
में बच्चों के साथ बड़े पैमाने पर हिंसा और शोषण किया जाता है| लेकिन यह जरुर मानते
है कि बाल श्रम एवं बाल विवाह दोनों बच्चों के खिलाफ हिंसा है |
* उन्हें उनके नाम से पुकारा जाना चाहिए |
* लड़के-लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए |
* लड़कियो को भी घर से बाहर पढ़ने भेजा जाए, उसपर रोक न
लगाई जाए |
* जाति का भेदभाव समाज में न रहें |
* शादी-विवाह में जात-पात नहीं मानना चाहिए |
* हर जगह मिडी की पहुँच हो ताकि कहीं कुछ गलत न हो
जाए |
कुछ दृष्टिहीन
बच्चों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराते
हुए कहा- “दृष्टिहीन बच्चियों को माँ-बाप भी नहीं मानते, चलते समय जानबूझकर टकराते
है, गलत बात करते है |” उन्होंने मांग की कि “दृष्टिहीन बच्चियों को विशेष छ्ड़ी
उपलबद्ध कराई जाए ताकि वह बिना किसी
पर निर्भर हुए खुद से चल सकें | दृष्टिहीन बच्चों के लिए कहाँ स्कूल है? लोगों को उसकी जानकारी होनी चाहिए | हर शहर में एक ऐसा स्कूल होना चाहिए |”
इस कार्यशाला की सबसे खास बात यह रही कि बच्चों से संबधित इस समस्या
पर सर्वप्रथम बिहार ने पहली बार यह कदम उठाय्य और बच्चों से परमर्श लिया| बच्चों
के यह विचार एवं उनके द्वारा दिए गय ये सुझाव NACG को दिए जायेंगे|
Participant children in the workshop
कार्यशाला के प्रतिभागी बच्चें
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