ग्रहों की बैठक

पीहू कुमारी को किलकारी से जुड़े एक वर्ष हुआ है। कविताएँ-कहानियाँ तो कमाल लिखती ही हैं, इसके साथ-साथ रचनाओं को सजाना भी बखूबी जानती हैं। नई रचनाएँ गढ़ने के साथ हस्तकला और चित्रकला में भी माहिर हैं। अक्सर कल्पनाओं में सृजनात्मकता ढूँढ़ने की गुंजाईश कुछ नया लिखने को उत्सुक करता रहता है। हम मनुष्यों की बैठक तो अक्सर होती रहती है, लेकिन पीहू अपनी दुनिया से बाहर निकलती है और कहानी में होती है 'ग्रहों की बैठक'। पढें यह छोटी-सी कहानी, तब जान पाएँगे कि 'ग्रहों की बैठक' में आख़िर क्या बातचीत हुई!

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