दिनांक
24-05-2014 को पूर्व कप्तान श्री असलम शेर खान किलकारी आए। बच्चों के साथ बातचीत
की और हॉकी से जुड़ी हुई कई बातें बताई। उन्होंने बताया, “सकारात्मक सोच लेकर चलोगे
तो जीवन में काफी आगे बढोगे। सफलता की सीढ़ी धीरे-धीरे चढ़ते हैं। बाल भवन में कोई न
कोई खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी जरुर निकलेगा।“
बच्चों के
प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्होने बताया कि सबसे पहला राष्ट्रीय स्तर का मैच सन्
1969 में खेला था और अंतराष्ट्रीय स्तर का पहला मैच सन् 1971 में न्यूजीलैंड के
विरुद्ध खेला। एक छोटे बच्चें ने पूछा-‘आप सबसे अच्छा मैच कौन-सा खेले? उन्होंने
हँसते हुए जवाब दिया - ‘मैच तो सभी अच्छे खेले, लेकिन मलेशिया का वर्ल्ड कप यादगार
था।‘ एक बच्चें ने पुछा - ‘आप आखिरी मैच कब खेले?’ जवाब था - ‘कटक (उड़ीसा) 1990
फरवरी में।‘ ‘सबसे रोमांचक मैच कौन-सा था?’ ‘जब पाकिस्तान को वर्ल्ड कप में 2-1 से
हराया।‘ एक बच्चें ने हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की खूबी पूछी? उन्होने बताया, ‘शत
प्रतिशत परफेक्शन्।‘ ‘ओलंपिक में चयन कैसे होता हैं?’ – एक बच्ची का प्रश्न था।
‘ट्राइल कैम्प में बेहतरीन प्रदर्शन के आधार पर चयन होता है।‘ ‘आपने हॉकी ही क्यों
चुना?’ ‘क्योंकि मेरे पिता हॉकी के चैम्पियन थे। भोपाल में हॉकी काफी होता था।
सेल्फ प्रैक्टिस, एकाग्रता, विश्वास खेल
के लिए अहम बात है।‘ ‘खेल के जीवन के बाद आपका जीवन क्या रहा?’ खेल के बाद, मैंने
राजनीति में प्रवेश किया और दो बार सांसद चुना गया। ‘हॉकी के लिए आपकी चाहत क्या
है?’ ‘हिन्दुस्तान का झंडा हॉकी की दुनिया में सबसे ऊपर लहराए।‘
बातचीत सत्र के बाद किलकारी के बच्चों को खूब-खूब आशीर्वाद दिया। बाल भवन घूमे यहाँ की गतिविधियों की सराहना की। बच्चों की फरमाईश पर उनके साथ फोटो भी खिंचवाई। किलकारी की निदेशक श्रीमती ज्योति परिहार ने किलकारी प्रकाशन एवं बच्चों द्वारा निर्मित हस्तकला सामग्री भेंट देकर विदाई दी।
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