‘Winter-Spring’ that is ‘Dahelia’ – ‘शीत-बसंत’ यानि डहेलिया

मैं किलकारी प्रांग्ण के बीच वाले आंगन में यूँ ही खड़ा था | पीछे से आवाज़ आयी, “आकाश, क्या कर  रहे हो? यहाँ आओ कुछ दिखाती हूँ |” ये आवाज थी, हमारी लेखन विधा कि प्रशिक्षका मधु दी की | मुझे लेकर वो लेखा शाखा के सामने लगे एक पौधे के पास गई और बोली, “देखों, एक ही पौधे में दो रंग के फूल खिले हैं |“ सचमुच…… मैं दंग रह गया | ये पौधा इतने दिनों से यहाँ लगा हैं, मेरा ध्यान इसपर क्यों नहीं गया? मैं मन ही-मन सोच रहा था | तभी दी ने मेरा ध्यान तोड़ते हुए पुछ, “इसका नाम क्या है?” मैं अपने अगल-बगल खड़े दोनों दोस्तों रोहित और मुनटुन की ओर ताका | हममे से किसी को भी इसका नाम पता नही था | उन्होने कहा, “जानते हो? इस फूल के बारे में गाँवों में एक लोक-कथा है |” मेरी दादी ने सुनाया था |
शीत और बसंत दो भाई–बहन थे | उनकी माँ बचपन में ही गुजर गई थी | रिश्तेदारों ने जमीन के लोभ में उन बच्चों को मिट्टी में दबा दिया | पिता तो आंगन में खिले एक ही पौधे में दो  अलग-2 रंग के फूल को देखकर बड़े खुश हुए | फूलों के पास आए | तभी फूलों से आवाज आई, “पिताजी……… पिता अचकचाए |” फिर फूलो से आवाज आई, “पिताजी, हम है आपके शीत- बसंत| हम मिट्टी के अंदर है | पर हमें निकालियेगा मत |” यहाँ धरती माँ के गोद में हम बहुत आराम से है| हमारी धरती माँ बहुत अच्छी हैं|
गाँवों में इस फूल को शीत – बसंत कहते है पर इसका सही नाम ‘डहेलिया’ है इसका बोटैनिकल नाम  ‘एलफेंड ग्रिल’ है| “समझे!” दी ने कहा |
दोस्तों मुझे लगा कि मैं यह अनुभव आपसे भी शेयर करू |
                                                                     आकाश कुमार ‘अक्की’

I was standing alone in the courtyard of Kilkari campus. Someone called me, ‘Aakash, what are you doing? Come here. Let me show you something.’ It was Madhu Di, our Creative Writing Class Trainer. I went with her towards Accounts Dept. She stopped near a plant and asked, ‘See two colored flowers in one plant.’ Really! I was surprised. Why had I never noticed this plant? I was thinking on it. Madhu Di again asked me, ‘What’s its name? I was looking at two of my friends Rohit and Muntun. Neither of us knew. She told us, ‘Do you know, in villages, there is a folk-story about this flower. My grandmother had told this story.

‘Winter and Spring’ were brother and sister. Their mother had expired in their childhood. Relatives were greedy. They buried them under the soil. Father was very happy when he saw two colour flowers in one plant. Then he went near the plant and listened a voice from the flower. “Father…” Father was shocked. Then the Flowers said, “Father, we are your Winter-Spring”. We are under the soil. But, please do not bring us out. We are very comfortable here in the lap of our ‘Dharti Maa (Mother Land)’. Our ‘Dharti Maa (Mother Land)’ is very good.

In villages, this flower is known as ‘Winter-Spring’, but it’s original name is ‘Dahelia’. It’s Botanical name is ‘Alfend Grill’. “Got it?”  Di asked.

Friends! I thought I must share this experience with you.

Yours Akash Kumar ‘Akki’


Two different colour flowers in one plant - एक ही पौधे में दो अलग-2 रंग के फूल

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