संयुक्त राष्ट्र बाल
अधिकार समझौते की 25वीं सालगिरह पर किलकारी और युनिसेफ के सहयोग से रविवार को
कलिदास रंगालय में बाल अधिकार पर आधारित नाटको व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ
बिहार बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष निशा झा, यूनिसेफ के चीफ डा. यामिन मजूमदार, यूनिसेफ की निपुणा गुप्ता, चिल्ड्रेन वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष दिपक कुमार व किलकारी की निदेशक ज्योति परिहार ने
संयुक़्त रुप से किया। किलकारी की कार्यक्रम पदाधिकारी अनिता ठाकुर मौजूद रहीं|
‘चिन्नी तु उदास मत हो, हम तुम्हें चाँद पर ले जायेगें।
पोलियों की शिकार चिन्नी की उदासी देख दोस्त उसे मनाने की कोशिश करते हैं| तरह-तरह से उसका मनोरंजन करते हैं| मगर चिन्नी को चाँद से भी ज्यादा
आर्कषक पढ़ना-लिखना लगता हैं| मनोरंजन से बस क्षण भर की खुशी मिलती है। परेशानी यह
कि चिन्नी के माँ-बाप उसे स्कूल नहीं भेजते, ना ही खेलने देते है| यहीं चिन्नी की उदासी का असली कारण है| मगर अंत में बाल आधिकार का
हवाला देकर चिन्नी के माँ-बाप को उसे स्कूल भेजने के लिए राजी कर लिया जाता है| और चिन्नी की मुस्कान लौट आती
है|
सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों ने नाटक और रंगारंग सांस्कृतिक
कार्यक्रम की शानदार प्रस्तुति देकर साबित कर दिया कि उनमें भी प्रतिभा की कमी नही
है|
कार्यक्रम के दौरान किलकारी के प्रियंतरा और यश रंजन की कविताएं
भी खूब पसंद की गई| ये बाल अधिकार पर आधारित थीं| सुन मां मेरी, सुन लो पापा…,खेल बिना अधूरे हम, खेलने बाहर जाने दें, की प्रस्तुति शानदार रही|
नाटक मुनिया बन गई डांसिंग स्टार, में ‘पंख लगाकर उड़ जा बिटिया, मेरे माई-बाबा ये तुम कब बोलोगे’ के माध्यम से एक बच्ची मुनिया
के सपनो की उड़ान रोकनेवाली सामाजिक परिस्थितियों को बखूबी दिखाया गया। मुनिया को अपने
सपने पूरे करने का मौका नहीं दिया जाता है, उल्टा उसे तिरस्कार का ही समाना करना पड़ता
है। मगर अपनी लगन और मेहनत के बल पर मुनिया अपनी प्रतिभा दुनिया के सामने लाती है।
कार्यक्रम के बीच-बीच में खो ना जाएं कहीं तारे जमीं पर, और जय हो जैसे बॉलीवुड गानों पर बच्चों
ने डांस भी किया।
ज्योति परिहार ने बताया कि कार्यक्रम का मकसद बच्चों, अभिभावकों और बच्चों के साथ काम करनेवाले लोगों को बाल अधिकारों के प्रति जागरुक करना था।
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