बिहार के ऐतिहासिक ग़ुफाओं को जानने व समझने के लिए निकल पड़े है किलकारी के बच्चे

दिनांक 11—14 अप्रैल 2014 तक बाल फोटोग्राफर के लिए किलकारी प्रांगण में आवासीय फोटोग्राफी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला वैसे बच्चों के लिए आयोजित की गई जो बिहार के धरोहरो व गुफाओं की फोटोग्राफी में रुचि रखते है। कार्यशाला में किलकारी के 20 बच्चें एवं पुरे बिहार से 12 बच्चे शामिल हुए |  इसके लिए किलकारी ने एक विज्ञापन अखबार मे प्रकाशित की थी। विशेषज्ञ NID के फोटोग्राफर अभिषेक चौबे (फ्रिलांसर) के मार्ग दर्शन में बच्चें फोटोग्राफी कैसे किया जाय इससे सबंधित जानकारियाँ  प्राप्त की। साथ ही कैमरे में मौजूद शटर स्पीड, अपरचर आईएसओ एक्सपोजर मीटर आदि के बारे में जाना। बच्चों ने कैमरे को कैसे हैडल किया जाता हैं यह भी जाना। फोटोग्राफी के लिए बच्चों को अभिषेक चौबे ने अपने संरक्षण में तैयार किया| कार्यशाला में ऐतिहासिक स्थलों एवं कैमरे के विजुअल के बारे में पूरी जानकारी दी गई| इस कार्यशाला में जानेमाने फोटोग्राफर श्री शैलेन्द्र कुमार, तेजकर झा (विज्ञान एवं एड एजेंसी), अतुल आदित्य पांडये (जियोलाँजी डिपार्टमेन्ट,  पटना विश्वविद्दालय) ने बच्चों को फोटोग्राफी  संबंधी जानकारियाँ दी और बच्चों से बातें की|
इसके साथ ही ‘लेखन कार्यशाला’  का आयोजन किया गया जिसमें बच्चे अपने द्धारा खिंचे गए चित्रों के बारे में कैसें लिख सके, बताया गया। कार्यशाला में बच्चों के लिए एक गेम कराई गई। सभी बच्चो को एक-एक छोटे-छोटे गिफ्ट की सामग्री दी गई और एक अधुरी कहानी| अपने–अपने गिफ्ट सामग्री से बच्चो को कहानी पूरी करनी थी। कहानी थी, आज तीन दिन हो गए। धनश्याम ने खाने का एक दाना देखा तक नही..! और अब इतनी भी शक्ति नहीं बची कि वो चल सके। चलते-चलते वो एक टूटी-सी झोपड़ी के पास धड़ाम से गिर पड़ा और बेहोश हो गया। थोड़ी देर बाद उसके सिर पर एक………………………गिरा। ………………………|गिफ्ट सामग्री में किसी को हेयर पिन, किसी को तरबूज, किसी को बॉल दी गई| इन सभी को जोड़कर बच्चों ने अपनी-अपनी कहानी पुरी की|  बच्चों ने कमाल की कहानी बनाई| इसके बाद सारी गिफ्ट बच्चों के बीच बाँट दी गई|
इसके बाद बच्चें फोटोग्राफी के लिए राजगीर गए जहाँ सोन भंडार, सप्तर्नी एवं पिपला की गुफाएँ, मनियार मठ तथा जहानाबाद गए जहाँ कौवाडोल, नागार्जुन की गुफाओं में जाकर फोटोग्राफी की। बच्चों ने इन धरोहरो को बहुत ही बेहतर तरीके से अपने  कैमरे में कैद किया। बच्चों की उम्र देखते हुए लगता है वर्षो से काम कर रहे फोटोग्राफर से कम नही  हैं|  बच्चों ने फोटोग्राफी की एवं इसके बारे में लिखा। बच्चों के फोटोग्राफी को देख सभी अचम्भित रह गए।
आर्कोलाजिक्ल सर्वे ऑफ इंडिया भी बच्चों के इस काम में मदद कर रहा है| इसकी मदद से बच्चों को ऐतिहासिक जानकारी जुटाने में आसानी हो रही है| खास कर वे एसी जानकारी इक्टठा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिनसे अब तक ज्यादातर लोग अनभिज्ञ हैं|
            दिनांक 30-05-2014 से शुरु हो रहे समर कैम्प के दौरान बच्चें जानेमाने फोटोग्राफर दीपक जॉन मैथ्यु से मिलेंगे| दीपक जी बच्चों को फोटोग्राफी से संबंधित जानकारी देगें। बच्चों के अभी तक खीचें गए फोटोग्राफ को देखेंगे  साथ ही फोटोग्राफ की समीक्षा करेंगे। बच्चें इनसे अपना तकनीकी ज्ञान को बढ़ाएगे। दीपक जॉन मैथ्यु की फोटो प्रदर्शनी भी होगी।
इसके बाद बच्चें 15 जून के बाद भागलपुर के कहलगाँव स्थित पत्थरघाटा, पातालपुरी एवं बाटेश्वर की गुफाओं आदि स्थानों का भ्रमण करेंगे।

बिहार के बच्चों के लिए यह बड़ी उपलब्धि है| इसमें बिहार भर से छठी से ले कर 10वीं तक के बच्चें शामिल है| जून के अंत तक बच्चे टूरिज्म गाइड प्रकाशित करेंगे।







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