किलकारी में बाल विज्ञान मेला

विज्ञान है जीवन से जुड़ा
दिनांक 29 एवं 30 नवम्बर, 2014 को किलकारी बाल भवन में बाल अधिकार के 25 वें वर्ष के उपलक्ष्य में बाल विज्ञान मेला का आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन 29 नवम्बर, 2014 को पूर्वा 11:00 बजे मुख्य अतिथि श्री श्रीधर चिरोवोलू, राज्य परियोजना परिषद एवं अतिथि के रुप में श्री शिवेन्द्र पाण्डेय, प्रोग्राम मैनेजर, यूनिसेफ तथा श्रीमती निपुण गुप्ता, कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट, यूनिसेफ, पटना द्वारा किया गया।
अतिथियों एवं बच्चों का स्वागत करते हुए श्रीमती ज्योति परिहार ने कहा कि यह मेला बच्चों के अन्दर विज्ञान के प्रति जो डर है उस दुर करने के लिये आयोजित किया गया है। बच्चों में विज्ञान के प्रति एक नई सोच, एक नई दृष्टि की शुरुआत हो इस मेला का यह उद्देश्य है।
मुख्य अतिथि श्री श्रीधर चिरोवोलू ने कहा- पुरी जिन्दगी में जो भी हम करते है वह विज्ञान से जुड़ा होता है। सूरज से धूप मे गर्मी, चांद से शीतलता हमें क्यों मिलती है यह जवाब हम विज्ञान में तलाश कर सकते है। बच्चों को अपने जिज्ञासा और उत्साह को बाहर निकालने एवं तरासने का कार्य जो किलकारी कर रहा है। उसके लिए तहे दिल से धन्यवाद।
मुख्य अतिथि श्री शिवेन्द्र पाण्डेय ने कहा- न्युटन, आर्किमिडिज के सिध्दानतों को आज के बच्चों ने अपने जीवन में जोड़ा यह बड़ी बात है। आज जो इन बच्चों से मैने सीखा है उसे वह कभी भूल नही सकते।
सुश्री निपुण गुप्ता ने बच्चों को संबंधित करते हुए कहा कि हर बच्चा एक वैज्ञानिक है। विज्ञान हमारे रोजमार्रा की जिन्दगी में होता है। कुछ उदहारण के साथ उन्होंने बताया कि कैसे विज्ञान हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। इन्होंने बाल अधिकार समझौते के 25 वें वर्ष पर बच्चों को शुभकामना दी। यह मेला भी बच्चों की भागीदारी और उनके अधिकारों को जानने का एक अवसर है। बच्चे वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर अपने जीवन को सफल बना सकते है। उन्होंने बताया कि विज्ञान हमें जीवन की सावधानी एवं उपयोगिता के बारे में बताता है। विज्ञान को साधन के रुप में हम उपयोग कर सकते है।
अगस्तया फाउण्डेशन के समन्वयक श्री रमण जी ने कहा की मेले में माध्यम से हमें बच्चों को बताना है विज्ञान सरल और सहज है। पूरे साल हमें विज्ञान के साथ उत्सव मनाना चाहिये।
कार्यक्रम के पहले दिन पटना एवं गया जिले के 20 विधालयों से लगभग 1500 बच्चे शामिल हुए। बच्चों द्वारा दिन और रात, सूर्य-चन्द्र ग्रहण, न्यूटन के गतिनियम, चन्द्रमा के आकार का बढ़ना-घटना, ग्रहों के आकार, ऊर्जा का संरचन, ऊर्जा की गति इत्यादि से संबंधित अलग-अलग विषय पर तरह-तरह के 120 मॉडल बनाये गये थे। बच्चों ने मॉडल के बारे में उपस्थित जजों एवं दर्शक बच्चों को बताया। जजों के पैनल द्वारा मॉडल निर्माण एवं प्रस्तुति के आधार पर समीक्षा की गयी। जज के रुप में डॉ. रोहित रमण (पटना सांइस कॉलेज के भैतिकि प्रोफेसर), डॉ. रजनीश कुमार (पटना साइंस कॉलेज के सहायक प्रोफेसर, रसायन शास्त्र) एवं प्रो. संजीव दफ्तआर (जिला समन्वयक, राष्ट्रिय बाल विज्ञान, काँग्रेस) उपस्थित थे। उन्होंने मॉडल निर्माण एवं प्रस्तुति के आधार पर बच्चों के मॉडल चयनित किये वो निम्नवत है:
1)        राममोहन राज सेमिनरी स्कुल, कक्षा नौ के छात्र रंजन कुमार ने दुध में इन्द्र्धनुष मॉडल बनाया। इस मॉडल में दिखाया गया कि अगर दुध में डिटरर्जेंट मिलाते है तो रंग घुलने की गति बढ़ जाती है।
2)        रा. स. से स्कुल कक्षा नौ की छात्रा स्नेहा ने पर्योवरण जागरुकता से संबंधित मॉडल बनाया था। इसमें मोबाईल टावर से उत्पन्न होने वाले रेडियेशन के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी गई थी।
3)        राजकीय मध्य विधालय, फुलवारी शरीफ के सागर निगम ने आलू से बिजली उत्पन्न करके दिखाया।
अगस्तया फाउण्डेशन द्वारा पूर्व निर्माण की प्रस्तुति में चयनित बच्चे हैं-
1)        नेहा एवं कहकशा- पी. एन. एंग्लो स्कुल पटना।
2)        संजीव एवं विश्वजीत- राजकीय बालक हाई स्कुल, राजेन्द्र नगर, पटना।
3)      पीयुष कुमार एवं अभिजीत- पी. एन. एंग्लो स्कुल, पटना।
कार्यक्रम के दूसरे दिन समापन के अवसर पर बच्चों द्वारा एक बड़ा सा केक कटवाया गया| सभी बच्चों ने केक खाया, एक-दूसरे को खिलाया और गालों पर लगाया| बच्चों के बीच एक विज्ञान क्विज़ का आयोजन किया गया| इस क्विज़ में कुल चार टीम थे| टीम के नाम थे कलाम, भाभा, आर्यभट्ट,  और रमण| विजयी टीम भाभा को पुरस्कार दिया गया| इस अवसर पर हेल्थ एवं हाइजिन, साफ-सफाई एवं स्वास्थ्य सुरक्षा पर एक परिचर्चा हुई| कार्यक्रम के अंत में बाल अधिकार पर किलकारी के 30 बाल कवि ने कविताएँ प्रस्तुत किए|
उद्घाटन सत्र


बच्चों द्वारा मॉड्ल्स का प्रदर्शन



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