किलकारी में बच्चों के समर कैम्प का मस्ती भरा 14वाँ दिन

लघु कार्यशाला के प्रथम दिन विशेषज्ञ श्री सतीशराज पुष्पकरणा, श्री ध्रुव कुमार ने कथा एवं कहानी में अन्तर, यथार्थ और सत्य में अन्तर, नाटकीयता क्या है, मिथक क्या है? ये सभी चीजें बताई| सभी बच्चों से पढ़ी हुई एक-एक कहानी सुनी गई बच्चों को कल एक-एक घटना लिखकर लाने को कहा गया।
      ताइक्वांडो प्रशिक्षण का आज छठा दिन था। आज के दिन बच्चों को आत्मरक्षा के तकनीक, किक एवं पंचो के साथ फाइट करना सिखाया गया। इस कैम्प में लड़कियों को खास सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है।
     लोक संगीत कार्यशाला का आज चौथा दिन था। जाने-माने संगीतज्ञ मनोरंजन ओझा के द्वारा पिछली कक्षा में सिखाए गए मैथिली गीत नचारी (ये माई जोगिया), महेशवाणी, अंगिका गीत (छोटी-मुटी महुआ हे) आदि का अभ्यास कराया गया। उन्होनें बच्चों की फरमाईश से कजरी का अभ्यास शुरु करवाया जो कि भोजपुरी भाषा में निबन्ध है। यह मुख्यत: सावन मास में गायी जाती है।
      क्राफ्ट कार्यशाला के विशेषज्ञ पवन कुमार सिंह द्वारा घड़े के टुकड़ो को कटिंग करने के बाद फूल की आकृति प्रदान किया गया। सभी फूलों को आपस में चिपकाया गया। साथ ही सिरामिक पाउडर से पत्तों का निर्मान किया गया।
      कथक का प्रशिक्षण में बच्चों को रुपक ताल में 7 बन्दिश (शिव स्तुति) सिखायी गई। साथ ही प्रशिक्षक के द्वारा भरतनाट्यम का ताल, त्रिपुर, राग कल्याणी, चतुश्र जाति पर आधारित है। बच्चों को राग कलावती में तराना का अभ्यास कराया गया।
                                   
ताइक्वांडो अभ्यास करते हुए

क्राफ्ट कार्यशाला लकड़ी के टुकड़ो से खिलौने बनाते हुए

कथक प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए














                                                                                                                                                                                        

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