दिनांक
12 जून से 17 जून 2014 तक लघुकथा लेखन कार्यशाला का आयोजन हुआ। यह कार्यशाला
विशेषज्ञ डॉ. सतीश राज पुष्करणा एवं श्री ध्रव कुमार के
निर्देशन में हुआ। इस छ: दिवसीय कार्यशाला में बच्चों को साहित्य का संक्षिप्त
परिचय दिया गया। साहित्य की विधाओं में कथा, कहानी एवं उपन्यास के बारे में जानकारी
दी गई। कहानी लघुकथा में अन्तर बताया गया। कथानक का चुनाव, घटना, लघुकथा में
शीर्षक, उच्चारिच भाषा, विराम-चिह्न, कुछेक वर्तनी में सुधार, अनुच्छेद बदलना
बताया गया। पूरे कार्यशाला के दौरान बच्चों ने लगभग 50 लघु कथाएँ लिखीं। इसमें 20
से अधिक लघुकथाओं कुर्सी, मजाक, मालिक , अफसोस, वसीयत, उत्तम, आजादी, उम्मीद,
शाबाश, एक मुल, अनजाने में, समझ, अपना शहर, संतान-सुख को विशेषज्ञों ने काफी
स्तरीय माना। जिसे किसी भी अच्छी पत्रिका में प्रकाशित करवायी जा सकती है।
विशेषज्ञों ने बताया कि किलकारी को लेखन से जुड़े- प्रियम्बदा, नवीन, यश, विवेक,
मुन्टुन, प्रियन्तरा, अभनन्दन, सृष्टि , राहुल, विष्णु इन बच्चों में बहुत अधिक संभावना है। दिनांक 18 जून को सुबह
06:00 बजे से 08:30 बजे तक ‘ईको पार्क’ में ‘नुक्क्ड़ बाल कवि सम्मेलन’ का आयोजन
होगा। बच्चें अधिकतर हास्य कविताएँ प्रस्तुत करेंगे।
किलकारी, बिहार बाल भवन के
चलंत पुस्तकालय द्वारा चितकोहरा एवं कौशल नगर स्लम में आज समर कैम्प का समापन हुआ।
यह समर कैम्प सृजनात्मक क्षमता विकास शिविर के रुप में किया। यहाँ 50 बच्चों को
कबाड़ी चीजों से उपयोगी चीजें बनाना सिखाया गया। जैसे- पुराने अखबार से सात तरह की
टोपी, डब्बा, घिरनी बनाना सिखाया गया। साथ ही चित्रकला, मैजिक, आनंददायक खेल
गतिविधि भी की गयी।
आज के दिन बच्चों के लिए सबसे
आकर्षक और मजेदार ‘फिल्म शो’ रहा। आज बच्चों ने फिल्म “हवा-हवाई” देखा। यह फिल्म
एक बच्चें की कहानी है, जिसमें वह बच्चा अपने आत्मविश्वास बल पर स्केटिंग का खेल
सीखता है और रेस में जीत हासिल करता है। आत्मविश्वास ही मनुष्य का सबसे बड़ा शक्ति है।
लघुकथा लेखन कार्यशाला |
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